10 Kavita on narcissism with विश्लेषण - हिंदी कविता या शायरी

कविताएं जो नार्सिसम (आत्मुघ्ता) को दर्शाती हैं 




1.

मेरा चेहरा, मेरी मुस्कान, दुनिया से अलग, हर नजर में बसी, मेरी ही छवि है जुदा। मेरी तारीफों के कसीदे, हर दिल ने गढ़े, मैं ही हूँ सबसे खास, हर नजर में बसा।

2.

आईने में देखूं, तो बस खुद को ही पाऊं, अपनी ही तारीफों के गीत मैं गाऊं। संसार की नजरें, मुझ पर ही ठहरें, हर दिल की धड़कन में, मेरा ही नाम।

3.

मेरी चमक, मेरी रोशनी, सबको हैरान कर दे, हर किसी की नजरें, मुझ पर ही ठहर जाएं। मैं ही हूँ वो सितारा, जो रातों को रौशन करे, हर दिल की धड़कन, मेरा ही दीवाना।

4.

मैं ही हूँ वो फूल, जो हर बाग में खिले, मेरे बिना ये जहां, अधूरा और सूनापन। मेरी खुशबू, हर हवा में बसी है, हर दिल में बस मैं ही हूँ बसा।

5.

मेरी हंसी, मेरी अदाएं, सबको मोहित कर जाएं, हर नजर में बसी, मेरी ही परछाईं। मैं ही हूँ वो सपना, जो हर रात में खिले, हर दिल की तमन्ना, मेरा ही ख्वाब।

6.

मेरा रूप, मेरी शोभा, सबसे अनमोल, हर दिल में बसी, मेरी ही मोहब्बत। मैं ही हूँ वो मोती, जो हर सीप में छिपा, हर दिल की चाहत, मेरा ही नाम।

7.

मैं ही हूँ वो गीत, जो हर दिल में गूंजे, मेरी ही बातें, हर किसी को याद रहें। मेरे बिना ये जहां, अधूरा सा लगे, हर दिल की धड़कन, मेरा ही सुर।

8.

मैं ही हूँ वो रंग, जो हर चित्र में भरे, मेरी ही छवि, हर दिल में बसी है। मैं ही हूँ वो आवाज, जो हर गीत में गूंजे, हर दिल की तमन्ना, मेरा ही नाम।

9.

मेरी ही कहानियां, हर दिल में बसी हैं, मेरे बिना ये जहां, अधूरा सा लगे। मैं ही हूँ वो सितारा, जो हर रात में चमके, हर दिल की धड़कन, मेरा ही राग।

10.

मैं ही हूँ वो सुर, जो हर गीत में गूंजे, मेरी ही महक, हर फूल में बसे। मैं ही हूँ वो सपना, जो हर रात में खिले, हर दिल की तमन्ना, मेरा ही नाम।

इन कविताओं में आत्म-प्रेम और आत्म-प्रशंसा को विभिन्न रूपों में व्यक्त किया गया है। उम्मीद है कि आपको ये पसंद आएंगी!

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इन कविताओं का विश्लेषण करने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि नशिष्टिक (narcissistic) विषयवस्तु का मतलब आत्म-प्रेम और आत्म-प्रशंसा है। ये कविताएं व्यक्ति की अपनी सुंदरता, योग्यता, और महत्वपूर्णता को उभारती हैं। आइए इन कविताओं का विश्लेषण करें:

1. मेरा चेहरा, मेरी मुस्कान, दुनिया से अलग,

हर नजर में बसी, मेरी ही छवि है जुदा। मेरी तारीफों के कसीदे, हर दिल ने गढ़े, मैं ही हूँ सबसे खास, हर नजर में बसा।

विश्लेषण: इस कविता में व्यक्ति अपने चेहरे और मुस्कान को विशेष बताता है। यह उसकी अनोखी पहचान और दूसरों के दिलों में उसकी अहमियत को दर्शाता है। आत्म-प्रशंसा की भावना इसमें स्पष्ट है।

2. आईने में देखूं, तो बस खुद को ही पाऊं,

अपनी ही तारीफों के गीत मैं गाऊं। संसार की नजरें, मुझ पर ही ठहरें, हर दिल की धड़कन में, मेरा ही नाम।

विश्लेषण: यह कविता आईने के प्रतीक के माध्यम से आत्म-मूल्यांकन और आत्म-प्रेम को दर्शाती है। व्यक्ति की आत्म-प्रशंसा और उसके प्रति संसार की दीवानगी को इसमें उभारा गया है।

3. मेरी चमक, मेरी रोशनी, सबको हैरान कर दे,

हर किसी की नजरें, मुझ पर ही ठहर जाएं। मैं ही हूँ वो सितारा, जो रातों को रौशन करे, हर दिल की धड़कन, मेरा ही दीवाना।

विश्लेषण: इस कविता में व्यक्ति अपने आप को एक चमकते हुए सितारे के रूप में प्रस्तुत करता है, जो सबकी नजरें अपनी ओर खींचता है। यह उसकी विशेषता और अद्वितीयता को दर्शाता है।

4. मैं ही हूँ वो फूल, जो हर बाग में खिले,

मेरे बिना ये जहां, अधूरा और सूनापन। मेरी खुशबू, हर हवा में बसी है, हर दिल में बस मैं ही हूँ बसा।

विश्लेषण: फूल का प्रतीक व्यक्ति की सुंदरता और खुशबू उसकी उपस्थिति को दर्शाता है। यह कविता बताती है कि बिना उसकी उपस्थिति के, दुनिया अधूरी है।

5. मेरी हंसी, मेरी अदाएं, सबको मोहित कर जाएं,

हर नजर में बसी, मेरी ही परछाईं। मैं ही हूँ वो सपना, जो हर रात में खिले, हर दिल की तमन्ना, मेरा ही ख्वाब।

विश्लेषण: हंसी और अदाओं का उल्लेख व्यक्ति की आकर्षकता को दर्शाता है। यह बताता है कि वह हर किसी की कल्पनाओं और ख्वाबों में बसा हुआ है।

6. मेरा रूप, मेरी शोभा, सबसे अनमोल,

हर दिल में बसी, मेरी ही मोहब्बत। मैं ही हूँ वो मोती, जो हर सीप में छिपा, हर दिल की चाहत, मेरा ही नाम।

विश्लेषण: इस कविता में व्यक्ति अपने रूप और शोभा को सबसे अनमोल बताता है। यह उसकी प्रेम और चाहत का प्रतीक है, जो हर दिल में बसी हुई है।

7. मैं ही हूँ वो गीत, जो हर दिल में गूंजे,

मेरी ही बातें, हर किसी को याद रहें। मेरे बिना ये जहां, अधूरा सा लगे, हर दिल की धड़कन, मेरा ही सुर।

विश्लेषण: गीत और सुर का प्रतीक व्यक्ति की यादों और उसकी उपस्थिति की महत्ता को दर्शाता है। यह बताता है कि उसकी उपस्थिति के बिना, हर दिल अधूरा है।

8. मैं ही हूँ वो रंग, जो हर चित्र में भरे,

मेरी ही छवि, हर दिल में बसी है। मैं ही हूँ वो आवाज, जो हर गीत में गूंजे, हर दिल की तमन्ना, मेरा ही नाम।

विश्लेषण: रंग और आवाज का प्रतीक व्यक्ति की सर्वव्यापकता और उसकी उपस्थिति की अनिवार्यता को दर्शाता है। यह बताता है कि उसकी उपस्थिति के बिना, हर चित्र अधूरा है।

9. मेरी ही कहानियां, हर दिल में बसी हैं,

मेरे बिना ये जहां, अधूरा सा लगे। मैं ही हूँ वो सितारा, जो हर रात में चमके, हर दिल की धड़कन, मेरा ही राग।

विश्लेषण: इस कविता में व्यक्ति की कहानियों और उसकी उपस्थिति की महत्ता को दर्शाया गया है। यह बताता है कि उसकी उपस्थिति के बिना, हर रात अधूरी है।

Deepnous

I am a passionate writer of shayari, poems, and ghazals, and an avid reader of philosophy and self-help books. On my blog, you'll find original themed shayaris and writing guides, along with book reviews and recommendations. Join me in exploring the beauty of words and literature.

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